tag:blogger.com,1999:blog-8444166237298835916.post4854851099474588921..comments2023-06-03T03:52:23.527-07:00Comments on my favorite contemporary poets: विदाkavitaprayashttp://www.blogger.com/profile/14145893552238439558noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8444166237298835916.post-55420233339902618532009-01-11T03:46:00.000-08:002009-01-11T03:46:00.000-08:00गैप को नहीं देखो,पिता बोले अलक्षित।बाँह ऊपर को उठा...गैप को <BR/>नहीं देखो,<BR/><BR/>पिता बोले अलक्षित।<BR/>बाँह ऊपर को उठा दोनों<BR/><BR/>हटा दिया जाना चाहिए यहाँ से तथा अलक्षित के बाद वाली पंक्ति से पहल कर दें। अर्थात् बाँह ऊपर... वाली पंक्ति और पिता बोले...वाली के बीच में । न कि अभी जहाँ है।Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8444166237298835916.post-61559263269467521042009-01-11T03:35:00.000-08:002009-01-11T03:35:00.000-08:00प्रिय अर्चना रात ही मैं नैशनल बुक ट्रस्ट के आमन्त्...प्रिय अर्चना <BR/>रात ही मैं नैशनल बुक ट्रस्ट के आमन्त्रण पर विजयवाड़ा में आयोजित २०वें राष्ट्रीय पुस्तक मेले के साहित्यिक कार्यक्रम से लौटी हूँ।<BR/>अभी आपका ईमेल पढ़ा है।मेरी इस कविता को तुमने अपने चयन में संजोया है,क्या कहूँ! बस,इस सदाशयता के लिए आभारी हूँ। प्रसन्न रहो। खूब नया लिखो। ब्लॊग तो बढ़िया बना ही लिया है।Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.com