आनंदकृष्ण, जबलपुर
शब्द वही हैं, बदल गई है केवल अर्थों की भाषा ।
छले हुए स्वप्नों में खोई सूनी आंखों की आशा ।
हवा चूमती थी पागल सी रेतीले नदिया तट को,
जाने किसने झटका था चंदा की आवारा लट को ।
झूम-झूम नर्तन करते थे, नीलगिरि के उंचे पेड़-
बगिया मुस्काई थी सुन-सुन, कर अनजानी आहट को।
अनगिन बिखरे तारों का शामें हंस स्वागत करती थीं ।
नील, निरभ्र, शून्य नभ में नित चटकीले रंग भरती थीं।
पीड़ा के बादल ने आंसू से लिख डाली परिभाषा ।
छले हुए स्वप्नों में खोई सूनी आंखों की आशा ।
जिस दिन बहुत दूर से हमने झलक तुम्हारी पाई थी ।
जिस दिन हमको देख तुम्हारी आंखें भी शरमाई थीं ।
नागपाश जैसी वेणी में बंध-हमने आकाश छुआ-
तन-मन में बिजली सी कौंधी-यौवन की अंगड़ाई थी।
श्वासों के संगम में हमको चेतनता के रंग मिले ।
उड़ते फिरते वनपाखी-से, रूप तुम्हारे संग मिले ।
मन के शिलालेख पर जाने किसने है यह दर्द तराशा ?
छले हुए स्वप्नों में खोई सूनी आंखों की आशा ।
वीराने जीवन को क्षण भर साथ तुम्हारा मिल जाए ।
भटक रही लहरों को जैसे एक किनारा मिल जाए ।
नव पल्लव का स्वागत करने मचल उठें सारी कलियां-
पंखुरियों पर प्रणय गीत हो ऐसा फूल कहीं खिल जाए।
पूनम की रातों में हम-तुम साथ रहें-बस पास रहें ।
और तुम्हारी पलकों में ही खिले खिले मधुमास रहें ।
इस निर्मम दुनिया में मैंने की जब सुख की अभिलाषा ।
छले हुए स्वप्नों में खोई सूनी आंखों की आशा ।
............
सादर-
आनंदकृष्ण, जबलपुर
मोबाइल : 09425800818
http://hindi- nikash.blogspot. com
Tuesday, July 28, 2009
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aaj k din ki bhvya shuruaat aapke abhinav geet se
ReplyDeleteवीराने जीवन को क्षण भर साथ तुम्हारा मिल जाए ।
भटक रही लहरों को जैसे एक किनारा मिल जाए ।
नव पल्लव का स्वागत करने मचल उठें सारी कलियां-
पंखुरियों पर प्रणय गीत हो ऐसा फूल कहीं खिल जाए।
waah
waah
__________anand aa gaya
badhaai !
आभार आनन्द कृष्ण जी की रचना यहाँ पढ़वाने का.
ReplyDeleteशब्द वही हैं, बदल गई है केवल अर्थों की भाषा ।
ReplyDeleteछले हुए स्वप्नों में खोई सूनी आंखों की आशा ।
पूरी रचना खूबसूरत है। सचमुच शब्द तो वही हैं पर अर्थ लगातार बदल रहे हैं। जीवंत रचना।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
आनन्द कृष्ण जी की रचना पढ़वाने का आभार ..
ReplyDeleteबहुत बढिया जी
ReplyDeleteआभार/ मगल भावनाऐ
हे! प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई-टाईगर
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इस निर्मम दुनिया में मैंने की जब सुख की अभिलाषा ।
ReplyDeleteछले हुए स्वप्नों में खोई सूनी आंखों की आशा ।
waah, kya baat hai !