Sunday, March 29, 2009

तुम याद आये

अनु बंसल , मिलवाकी

इतिहास तू पुनः जी उठा है, नूतन एक कहानी बनकर.
उम्र के अंतिम चरण में, अल्लहड़, मस्त जवानी बनकर.
सहसा फडफ़डाते है जीवन पुस्तक के कुछ पिछले पन्ने.
जब देखे थे, तुमने हमने, अपने कल के सुंदर सपने.
बह रहा है, आज सब कुछ यादों की रवानी बनकर
इतिहास तू पुनः जी उठा है, नूतन एक कहानी बनकर.

मैं, कर्तब्यों के झूले में झूल रही थी, अंखिया मीचे
कुल, कुटुंब प्रमुख हुए थे, मैं अदृश्य, तू कही पीछे
आज तू सम्मुख हुआ है , बीते कल की निशानी बनकर
इतिहास तू पुनः जी उठा है, नूतन एक कहानी बनकर.
पुनर्जनम बस एक भरोसा, होगा तुमसे मेरा साथ .
मिलना या बेशक न मिलना, मिल कर न दे देना प्यास .
आसान नहीं प्रेम पिपासा ले कर जीना, मीरा सी दिवानी बनकर
इतिहास तू पुनः जी उठा है, नूतन एक कहानी बनकर.

इतिहास तू पुनः जी उठा है, नूतन एक कहानी बनकर.
उम्र के अंतिम चरण में, अल्लहड़, मस्त जवानी बनकर.

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