किसी की याद में सुध-बुध कभी जो खो नहीं सकते
यक़ीनन वो ज़माने में किसी का हो नहीं सकते
ज़रा-सी धूप की ख़ातिर कभी भी छांव मत बेचो
बिना बादल बिना बरखा फ़सल तुम बो नहीं सकते
बचाकर चाहिए रखना हमेशा आँख का पानी
नहीं तो दाग़ दामन का कभी तुम धो नहीं सकते
गुलाबों की हिफ़ाज़त में लगे रहते हैं जो कांटे
उन्हें भी नींद आती है मगर वो सो नहीं सकते
बदल जाये भले दुनिया मगर जज़्बा नहीं 'घायल'
ग़मों का बोझ जज़्बा के बिना तुम ढो नहीं सकते
आर॰पी॰'घायल'
R.P.ghayal
R.P.ghayal
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