अनूप भार्गव
http://anoopbhargava.blogspot.com/
जाने सूरज जलता क्यों है
इतनी आग उगलता क्यों है
रात हुई तो छुप जाता है
अंधियारे से डरता क्यों है
सुबह का निकला घर न आया
आवारा सा फ़िरता क्यों है
सुबह शाम और दोपहरी में
अपनें रंग बदलता क्यों है
अगर सुबह को फ़िर उगना है
तो फ़िर शाम को ढलता क्यों है
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१.
जज़्बातों की उठती आँधी
हम किसको दोषी ठहराते
लम्हे भर का कर्ज़ लिया था
सदियां बीत गई लौटाते ।
२.
वो लड़ना झगड़ना रूठना और मनाना
किस्से सभी ये पुराने हुए हैं
वो कतरा के छुपने लगे हैं हमीं से
महबूब मेरे सयाने हुए हैं ।
Wednesday, December 31, 2008
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