Thursday, January 15, 2009

यूँ झुकना हमें भी गवारा नहीं है

-मैत्रेयी अनुरूपा

यूँ झुकना हमें भी गवारा नहीं है
मगर हमने बोझा उतारा नहीं है
कदम लड़खड़ाये जरा इसलिये भी
कि बैसाखियों का सहा रा नहीं है
नहीं तैरता कोई ताउम्र इसमें
ये दरिया है जिसका किनारा नहीं है
ये इक सुर्ख शै जिससे दामन बचाते
ये दिल है हमारा अँगारा नहीं है
अँधेरी सियाह रात में टिमटिमाता
दिया जल रहा है, सितारा नहीं है
कभी तुम बढ़ोगे हमारी भी जानिब
किया तुमने ऐसा इशारा नहीं है
अभी हमने हलकी सी आवाज़ दी है
कहाँ चल दिये तुम ? पुकारा नहीं है

No comments:

Post a Comment