- श्यामल सुमन (09955373288 )
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प्रेमी को मिलने नहीं देती, अजब है जग की रीत।
सजन से कैसे होगी प्रीत?
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प्रेमी को मिलने नहीं देती, अजब है जग की रीत।
सजन से कैसे होगी प्रीत?
वह घटना होती अद्भूत-सी, प्यार जिसे कहते हैं।
सच्चा प्यार हुआ हो उसके, साथ कहाँ रहते हैं?
जीवन तो बस इक समझौता, हार कहूँ या जीत।
सजन से कैसे होगी प्रीत?
सच्चा प्यार हुआ हो उसके, साथ कहाँ रहते हैं?
जीवन तो बस इक समझौता, हार कहूँ या जीत।
सजन से कैसे होगी प्रीत?
जाति-धरम की दीवारों संग, और कई उलझन है।
संग जिसके दिन-रात है जीना, उससे क्यों अनबन है।
नैन मिले प्रियतम से वह पल, बन जाये संगीत।
सजन से कैसे होगी प्रीत?
संग जिसके दिन-रात है जीना, उससे क्यों अनबन है।
नैन मिले प्रियतम से वह पल, बन जाये संगीत।
सजन से कैसे होगी प्रीत?
सच प्रायः सबको जीवन में, रहता शेष मलाल।
परम्परा के व्यूह में फँसकर, होते लोग हलाल।
कहते हो रक्षक है काँटा, नहीं सुमन का मीत।
सजन से कैसे होगी प्रीत?
परम्परा के व्यूह में फँसकर, होते लोग हलाल।
कहते हो रक्षक है काँटा, नहीं सुमन का मीत।
सजन से कैसे होगी प्रीत?
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