Friday, January 2, 2009

कितना है दम चराग़ में तब ही पता चले

- श्रद्धा जैन
http://bheegigazal.blogspot.com

कितना
है दम चराग़ में तब ही पता चले

फानू की आस हो , उस पर हवा चले

फानू= काँच का कवर

लेता हैं इम्तिहान गर , तो सब्र दे मुझे

कब तक किसी के साथ कोई रहनुमा चले

नफ़रत की आँधियाँ कभी, बदले की आग में
अब कौन लेके झंडा- अमनो-वफ़ा चले

चलना अगर गुनाह है , अपने उसूल पर

सारी उमर सज़ाओं का ही सिल सिला चले

खंज़र लिए खड़े हो गर हाथों में दोस्त ही

"श्रद्धा" बताओ तुम वहाँ फ़िर क्या दुआ चले

No comments:

Post a Comment