Sunday, December 28, 2008

जिस तरह भी हो हमें महफ़िल सजानी चाहिए

- शरद तैलंग
http://www.sharadkritya.blogspot.com

जिस तरह भी हो हमें महफ़िल सजानी चाहिए
फ़कत इसके वास्ते कोई कहानी चाहिए ।
जब सहर होगी तो अपने आप ही उठ जायेंगे
शर्त ये है रात भर बस नींद आनी चाहिए ।
आस्मां की बात करते सब यहाँ मिल जाएंगे,
पर ज़मीं से जुड़ सके वो ज़िन्दगानी चाहिए ।
झुर्रियां जो आ गईं तो ग़म न कर इस बात का,
उम्र पाने की भी कुछ क़ीमत चुकानी चाहिए ।
मुझसे मिलकर उसने जाना बात तो ये सच नहीं,
’इश्क करने के लिए यारो जवानी चाहिए’ ।
ज़िन्दगी गुज़री है जैसे मौत के डर से मियां !,
हादसे से कम नहीं अब मौत आनी चाहिए ।
सब यहाँ मिल जाएगा मिलना मुश्किल है ’शरद’
आपको ग़र दोस्तों की मेहरबानी चाहिए ।
शरद तैलंग

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