- घनश्याम गुप्ता
रास्तों ने मंज़िलों से दूर जाने को कहा
इश्क में जैसी रवायत है निभाने को कहा
दो सुख़न उसने कड़ाई से कहे दो प्यार से
कुछ रुलाने को कहा तो कुछ लुभाने को कहा
किस तरह उसकी हिदायत पर अमल करता बशर
याद रखने को कहा फिर भूल जाने को कहा
हल्क़ए-अय्यार में बेलौस रहना ख़ूब था
किस तज़ुर्बेकार ने यां दिल लगाने को कहा
तुम फ़क़त हो बेमुरव्वत ऐसा मैंने कब कहा
मैंने हरदम नागवारा कुल ज़माने को कहा
बिंध गया अपनी रजा से जब नफस के तार में
ख़ुद-ब-ख़ुद तस्बीह ने नायाब दाने को कहा
दार पर अव्वल चढ़ाया फिर रसन की बात की
दम निकल जाने से पहले मुस्कराने को कहा
Wednesday, December 31, 2008
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