Wednesday, December 31, 2008

पारदर्शिता

- सुजाता दुआ
sangharshhijiwan.blogspot.com

लोग अक्सर बनाते हैं ...
शब्दों के खूबसूरत घर
फिर उसे सजाते हैं ...
उपमाओं से ......
और खुश हो जाते हैं ...
अपनी वाक्कौशल पर


पता नहीं .....
नादान होते हैं या अनजान
जो इतना भी नहीं जानते
बिना भाव के शब्द
खोखले होते हैं ....
इतने पारदर्शी की
उनमें देखा जा सकता है
आर -पार की फिर
उन्हें (लोगों को ).....
आजमाने की
जरूरत भी नहीं रहती

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